GWALIOR: आखिर अपने वरिष्ठ नेताओं से क्यों परेशान हैं बीजेपी के पार्षद पद के प्रत्याशी

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Dev Shrimali
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GWALIOR: आखिर अपने वरिष्ठ  नेताओं से क्यों परेशान हैं बीजेपी के पार्षद पद के प्रत्याशी

GWALIOR News. ग्वालियर में नगर निगम चुनावों के लिए होने वाले चुनावों के लिए प्रचार अभियान अपने चरम पर हैं। इस बार न केवल मेयर बल्कि पार्षद पद के लिए भी हर वार्ड में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। जनसम्पर्क अभियान जोरों पर है लेकिन बीजेपी के पार्षद पद के प्रत्याशी बहुत परेशान है। इसकी बजह नेता है वह भी उनके खुद के दल के और वरिष्ठ ओहदेदार। उनकी समस्या ये है कि नेता उन पर दौरा कराने के लिए दबाव बना रहे है जबकि वे जनसम्पर्क में ही व्यस्त रखा चाहते हैं







इस बार है त्रिकोणीय मुकाबला



ग्वालियर नगर निगम में बीती पचपन वर्षों से जनसंघ और बीजेपी का कब्ज़ा है। कांग्रेस के कुछ पार्षद भले ही जीतते रहे हों लेकिन मेयर सदैव ही बीजेपी का रहा है। अब तक यहाँ मुकबाला कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीध ही होता रहा है लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। इस बार पहली बार आम आदमी पार्टी भी पूरी दमखम के साथ मैदान में है। आप न केवल मेयर पद पर बल्कि वार्ड में पार्षद पद के प्रत्याशी ही लेकर उतरी है।  अनेक वार्ड में वे कड़ी चुनती भी दे रहे हैं। कांग्रेस ने भी पहली बार पूरी ताकत से चुनाव लड़ा है लिहाजा मुकाबला आसान नहीं लग रहा जैसा अब तक के चुनावों में होता था।







मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके हैं सभा



स्थिति को भांपकर बीजेपी भी कोई कोर -असर नहीं छोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहाँ एक चक्कर लगा चुके हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भी बात की।  रूठों को मनाया और बागियों को भी सहलाकर बिठाया और फिर शहर की तीनों विधानसभा ( ग्वालियर , ग्वालियर तथा ग्वालियर दक्षिण ) क्षेत्रों में मेयर और  प्रत्याशियों के समर्थन में सभाएं ली। हालाँकि इन सभाओं में अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुटी।दक्षिण की सहा में बरसात आने से भी भीड़ की सख्या पर असर पड़ा।  इसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर भी दो दिन शहर की अलग -अलग विधानसभाओं में जुटा चुके है। जयभान सिंह पवैया ने कल दो क्षेत्रों में रोड शो कर  दिया वहीँ पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी बैठकें कर रहे हैं।







इसलिए परेशान हैं उम्मीदवार



पार्षद पद के प्रत्याशियों के नजदीकी लोग बतात हैं कि बड़े नेताओ के कारण वे लोग अपने स्तर पर जनसम्पर्क के कार्यक्रम नहीं बना पा रहे हैं। बड़े नेताओं के एक दौरे या सभा में पूरा दिन निकल जाता है क्योंकि उसके लिए तैयारी भी करनी पड़ती है और भीड़ भी जुटाना पड़ती है। उनकी पीड़ा भी ये है कि लोग सभाओं में आते ही नहीं है केवल कार्यकर्ता ही पहुँचते है। सूत्रों की मानें तो अनेक मंत्री ,पूर्व मंत्री और अन्य बड़े नेता उम्मीदवारों पर फोन कर करके दबाव बना रहे हैं कि वे अपने यहाँ उनका कार्यक्रम करवाएं। अब उनकी दिक्कत ये है कि वे न तो मना कर पा रहे है और अगर उनका कार्यक्रम रखवा देते है तो पूरा समय चला जाता है। इससे उनका खुद का जन संपर्क प्रभावित हो जाता है। प्रत्याशी अपनी पीड़ा चुनाव की व्यवस्थाओं का संचालन कर रहे नेताओं को भी बता चुके हैं लेकिन वे उस कद के हैं नहीं कि बड़े नेताओं से बात कर स्थिति बता सकें। दरअसल ये सब पार्टी नेताओं में व्याप्त गुटबाजी की बजह से हो रहा है। उनकी एक दुसरे से प्रतिद्वंदिता के चलते हर कोई अपनी सक्रियता दिखाना चाहता है। इसका खामियाज़ा प्रत्याशी भुगतने को मजबूर हैं।



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